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બેસ્ટ પ્રેમ ની ગુજરાતી શાયરી / best prem ni gujrati shayari

બેસ્ટ પ્રેમ ની ગુજરાતી શાયરી / best prem ni gujrati shayari સ્વપ્નને કહેજો પગરખાં વાપરે, અહીં તો પાંપણોનો માર્ગ પણ પથરાળો છે !! Tell the dream uses shoes, Here even the path of eyelashes is stony!! *"ગૂંગળામણ" નું કારણ ફક્ત ઓક્સિજન ની ઉણપ નહી...* *પણ,* *હૃદય મા દબાવેલી વાતો નો "સંગ્રહ" પણ હોય શકે* "Suffocation" is caused not only by lack of oxygen...* *But,* *Could also be a "collection" of things buried in the heart* તમે ભૂલી ગયા’તા પાનું જેનું વાળવાનું તે, અઘુરી વાર્તાને કારણે જીવી જવાયું છે. You forgot the page to turn, Aghuri has survived because of the story. પ્રેમ માં પડવું નહિ એના કદી  છે બહુ અઘરું આ પિંજર છોડવું  Never fall in love It is very difficult to leave this cage  પ્રેમમાં તમારી ચામડી શ્યામ હશે તો ચાલશે... પણ તમારી નિયત કૃષ્ણ જેવી પવિત્ર હોવી જોઈએ If your skin is dark in love, it will work... But your destiny should be pure like Krishna મને નથી ખબર તારી પાસે શું જાદુ છે,  તારી સાથે બે-ઘડી વાતો કરીને જિંદગી ની હળવાશ જરૂર અનુભવુ...

Best Hindi shayari । बेस्ट हिन्दी शायरी


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Best Hindi shayari । बेस्ट हिन्दी शायरी

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आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा, 

 कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा, 

 

 बेवक़्त अगर जाऊँगा, सब चौंक पड़ेंगे, 

 इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा, 

 

 जिस दिन से चला हूँ मेरी मंज़िल पे नज़र है,

 आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा, 

 

 ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, 

 तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा, 

 

 पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला, 

 मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा।

💖


दिल की गली में चाँद निकलता रहता है


एक दिया उम्मीद का जलता रहता है


जैसे जैसे यादों कि लौ बढ़ती है


वैसे वैसे जिस्म पिघलता रहता है


सरगोशी को कान तरसते रहते हैं


सन्नाटा आवाज़ में ढलता रहता है


मंज़र मंज़र जी लो जितना जी पाओ


मौसम पल पल रंग बदलता रहता है


राख हुई जाती है सारी हरियाली


आँखों में जंगल सा जलता रहता है


तुम जो गए तो भूल गए सारी बातें


वैसे दिल में क्या क्या चलता रहता है





पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगा 


मैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगा 


अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दिया 


अलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगा 


फ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिन 


मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगा 


गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँ 


नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगा 


मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँ 


तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगा 


तुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुख 


मैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगा 


मैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने 'सरवत' पर 


और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा



Best Hindi shayari । बेस्ट हिन्दी शायरी





खुद को भूल गया उसे याद रखता है


                       इश्क में ऐसा कोन सा राज है




बेवफा से निभाया है कभी खुद से निभा


                 तुझे खुदपर किस बात का नाज है




हो सके तो कहीं उतार के फेंक दे इसे 


                         ये वफा का महंगा लिबाज़ है




किस बात की सजा दी इस दिल को


                    मान ना मान तूं बड़ा बेलिहाज है




टूटकर भी तूं जूठा मुस्करा रहा है


                        वाह क्या गजब का अंदाज है




खुद के खिलाफ जा कर मोहब्बत की


                        जा dj जा तूं भी धोखेबाज है





तबीयत पर गौर हमारी, तुम करोगे


तो बस मन अपना भारी,तुम करोगे


कुछ बातों में ही,वफा सिखाएंगे हम


यहाँ बाकी बातें, सारी तुम करोगे


की तेरी एक नजर का इंतजार है हमें


क्योंकि इश्क की,जंग जारी तुम करोगे


मेरे हिस्से की, वफा वहां पहुंच गई


अब किस बात की, खुद्दारी तुम करोगे


यार खुद्दारी नहीं सब्र से काम लो थोड़ा


1 दिन यही आने की तैयारी तुम करोगे







मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा 


तेरा वा'दा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा 


सोज़ भर दो मिरे सपने में ग़म-ए-उल्फ़त का 


मैं कोई मोम नहीं हूँ जो पिघल जाऊँगा 


दर्द कहता है ये घबरा के शब-ए-फ़ुर्क़त में 


आह बन कर तिरे पहलू से निकल जाऊँगा 


मुझ को समझाओ न 'साहिर' मैं इक दिन ख़ुद ही 


ठोकरें खा के मोहब्बत में सँभल जाऊँगा




अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे


अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे

तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आयें कैसे


घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बाद का है

पहले ये तय हो की इस घर को बचाएं कैसे


क़हक़हा आँख का बर्ताव बदल देता है

हंसने वाले तुझे आंसू नज़र आयें कैसे


कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा

एक कतरे को समंदर नज़र आयें कैसे


लाख तलवरे झुकी अती हो गरदन की तरफ 

सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएं कैसे



इतनी मुद्दत बाद मिले हो!

किन सोचों में ग़ुम रहते हो?


इतने खाईफ़ क्यों रहते हो?

हर आहट से डर जाते हो


तेज़ हवा ने मुझ से पुछा

रेत पे क्या लिखते रहते हो?


काश कोई हमसे भी पूछे

रात गए तक क्यों जागे हो?


मैं दरिया से भी डरता हूँ

तुम दरिया से भी गहरे हो!


कौन सी बात है तुम में ऐसी

इतने अच्छे क्यों लगते हो?


पीछे मुड़ कर क्यों देखा था

पत्थर बन कर क्या तकते हो?


जाओ जीत का जश्न मनाओ!

में झूठा हूँ, तुम सच्चे हो


अपने शहर के सब लोगों से

मेरी खातिर क्यों उलझे हो?


कहने को रहते हो दिल में!

फिर भी कितने दूर खड़े हो


रात हमें कुछ याद नहीं था

रात बहुत ही याद आये हो




हमसे न पूछो हिज्र के किस्से

अपनी कहो अब तुम कैसे हो?


'अज़ीज' तुम बदनाम बहुत हो

जैसे हो, फिर भी अच्छे हो



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