सती का मतलब क्या है । सती प्रथा क्या है
सती का मतलब अपनें सत्य के ऊपर अडिग रहना होता है जो एक पतिव्रता स्त्री ही रह सकती है ! मात्र अग्नि स्नान ही सती नहीं है ! सती सिर्फ़ पति के साथ हो उसको ही नहीं कहते अनेकों ऐसे उदाहरण है जिसमें माँ अपने पुत्र के साथ तथा बहन अपने भाई के साथ भी सती हुई है ! जोधपुर के समीप बाला गाँव के रूपकँवरजी
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सती का मतलब क्या है । सती प्रथा क्या है |
बिना अग्नि स्नान किये ताउम्र सतीजी बावजी से सम्बोधित किए जाते रहें है और वो अपनें जेठ के पुत्र के साथ सती होना चाहते थे ! वो अंग्रेज़ी शासन था उनको सती नहीं होनें दिया गया तब से उन्होंने अन्न - जल का परित्याग कर दिया , आज भी उनके चमत्कारों के क़िस्से लोगों द्वारा सुनाये जाते है ! मैं आज आप लोगों को ऐसी सतीजी के बारे में अवगत कराना चाहूँगा जो जोधपुर ज़िल्ले के ख़ुडीयाला ठाकुर साब की पुत्री थी ! नाम है भटियानी गोविंदकँवरजी ! जिनका विवाह नागौर के डेह ठिकानें में हुआ विवाह के कुछ माह पश्चात् उनके पति देवलोक हो गये जिसका आभास उनकी धर्मपत्नी को पूर्व में हो गया था जो अपने पति के साथ सती होना चाहती थी ! उन्होंने सौलह श्रंगार किए , विवाह की लाल पौसाक धारण की और पति की चिता संग रवाना हुई परन्तु उनके परिवार के सदस्यों नें उनके ऊपर नील मिश्रित जल छिड़क दिया जिससे उनका सत् उतर गया , उन्होंने तत्काल उनको श्राप दिया जो लोग रास्ते का रोड़ा बनें वो अभी भी भुगत रहें है , उसके बाद उन्होंने अन्न - जल का परित्याग कर दिया सिर्फ़ देशी गौ के दुग्ध का सेवन कर रहें है ! वो अपनें गाँव के निर्विरोध सरपंच भी रहे है आज भी डेह गाँव में मौजूद है कोई भी जाकर दर्शन लाभ ले सकते है !
सती का मतलब क्या है । सती प्रथा क्या है
मुझे भी उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है ! इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण मिलते है की राजाओं के साथ पुरुष भी सत्ते हुवे है व रानियों के साथ रहनें वाले उनके परम वफ़ादार हिजड़े भी सत्ते हुवे है ! मेरी एक मित्र Dr. Melia Belli Bose जो की अमेरिका के केलिफ़ोर्निया में प्रोफ़ेसर है जिन्होंने सतियों पर शौध किया है उनकी पुस्तक में उन्होंने बहुत सारी
सतियों और उनके स्मारकों पर लिखा है जो शौधपूर्ण प्रमाणिक पुस्तक है !!
राजस्थान में सतीप्रथा कभी नहीं थी अगर होती तो कोई राजपूत विधवा स्त्री नही बचती ! एक राजा की पाँच पत्नियों में एक ही सती हुई व चार नहीं हुई क्यों की प्रथा नहीं थी ! राजा राममोहनराय का क़दम बंगाल के लिए था क्यों की वहाँ पर सती किया जाता था और यहाँ पर स्वेच्छा से होती थी इसलिए जगह जगह उन सतियों की पूजा होती हैं !!
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